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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 33 
हीरेन की अब तक की बहस से मीना बहुत उत्साहित थी । उसका शुरू से मानना था कि अनुपमा इस तरह की नारी नहीं है जिस तरह की सरकारी वकील नीलमणी त्रिपाठी ने अदालत में बताई थी । चरित्रहीन , बेवफा , अय्याश और कातिल । एक स्त्री दूसरी स्त्री के चरित्र को बड़ी जल्दी जान जाती है । अनुपमा का मासूम चेहरा और उसकी लज्जाशील आंखें कह रही थीं कि वह एक उच्च चरित्र की स्त्री है और एक आदर्श पत्नी है । लेकिन जिस तरह से थानेदार मंगल सिंह और वकील नीलमणी त्रिपाठी ने उसे शर्मसार किया था उससे मीना का हृदय बड़ा व्यथित था । उसका वश चलता तो वह थानेदार और वकील दोनों का मुंह भरी अदालत में नोंच लेती । 

हीरेन ने एक एक करके सरकारी वकील के झूठ के आवरण की पर्तें उघाड़ डालीं और कोर्ट को सत्य का दिग्दर्शन करवा कर अपनी योग्यता के झंडे गाड़ दिये थे । मीना को पहले से ही मालूम था कि यही सत्यता है जो हीरेन ने दिखा दी थी  लेकिन अब तक यह सत्य झूठ की ओट में कहीं छुपा हुआ था । हीरेन की जासूसी ने न केवल अनुपमा के चेहरे पर पुती "रंगीली रानी" की कालिख को मिटाया अपितु नारी जाति का खोया हुआ चरित्र पुनर्स्थापित कर दिया । इससे न केवल वह बल्कि अदालत में मौजूद समस्त स्त्रियां गदगद हो रही थीं । उसकी इच्छा कर रही थी कि वह हीरेन के पान के रंग से रंगे हुए अधरों को चूम कर उसे उसकी कामयाबी का पुरुस्कार दे दे । लेकिन अदालत में यह काम कैसे संभव था ? इसलिए वह अपनी ख्वाहिशों को अंजाम तक पहुंचाने में सफल नहीं हो सकी और मन मसोस कर रह गई । 

उसने पानदान से एक पान और निकाला और उसे हीरेन को देते हुए अपनी निगाहों से ही उसे चूम लिया । लोग हीरेन को हर बार पान खाता देखकर समझने लगे कि इन पानों में जरूर कोई चमत्कार है वरना हीरेन शक्ल सूरत से तो जासूस जैसा लगता ही नहीं है । लोग छज्जू पनवाड़ी के पास जाकर "पान में जासूसी का रहस्य" पूछते तो इससे छज्जू पनवाड़ी फूल कर कुप्पा हो जाता था । उसके पानों की बिक्री अचानक से दुगनी हो गई थी । लोग छज्जू पनवाड़ी का पान, विशेष कर शरबती पान जरूर खाते और उसे खाकर बहुत गौरवान्वित होते थे । लोग उस पान का सार्वजनिक रूप से गुणगान करते अघाते नहीं थे । 

छज्जू पनवाड़ी ने हीरेन के लिए पान अब फ्री कर दिए थे और उस पर जो पिछला बकाया था वह भी उसने छोड़ दिया था । और तो और जज साहब को उसके पानों का ऐसा चस्का लगा कि अब वे हमेशा अपना मुंह पान से बंद रखते थे । इसका फायदा यह हुआ कि इससे उनका घर पर  बोलना बिल्कुल बंद हो गया था । जज साहब की पत्नी जो कुछ भी कहती थी या पूछती थी तो वे केवल "हूं हां" में ही जवाब देते थे । इससे घर में होने वाला बेवजह का क्लेश मिट गया था क्योंकि जज साहब की पत्नी अकेली कब तक चिल्लाती ? जब तक सामने से बराबर जवाब नहीं आये तो फिर लड़ने में मजा भी नहीं आता है । जज साहब की पत्नी ने अब लड़ना बंद कर दिया था और वे जज साहब को जी भरकर प्यार करने लगी थीं । यह था छज्जू पनवाड़ी के पान का चमत्कार । जज साहब की पत्नी भी पान की कीमत समझ गई और वे भी पान की दीवानी बन गई । अब दोनों जने पान खाकर बस मुस्कुराते रहते थे । समस्त लड़ाई झगड़े उस घर से सदा के लिए विदा हो गये थे । वे दोनों अब पान से होने वाले फायदे समझाने लगे थे । 

हीरेन एक नया पान खाकर तरोताजा हो गया और आगे बहस करने लगा । उसने कहा "मी लॉर्ड, मेरे काबिल दोस्त वकील त्रिपाठी जी का कहना है कि "माई फ़र्स्ट लव" एल्बम, अनुपमा के अंगवस्त्र और हत्या में प्रयुक्त चाकू अक्षत के कमरे से बरामद हुए थे इसलिए वह दोषी है । मैंने अपने गवाहों और सबूतों के द्वारा यह सिद्ध कर दिया है कि वह एल्बम अक्षत ने नहीं बल्कि क्षितिज ने बनाया था । एल्बम अक्षत के कमरे से बरामद हुआ इससे अक्षत उसका "मालिक" नहीं बन गया था । वैसे ही जैसे चाकू उसके कमरे से बरामद हुआ था पर चाकू पर अक्षत की उंगलियों के निशान नहीं थे । ऐसी हालत में यह निश्चित है कि उन्हें किसी ने बड़े ही शातिराना तरीके से अक्षत के कमरे में रख दिया था जिससे अनुपमा और अक्षत के इश्क की झूठी कहानी गढी जा सके और अक्षत और अनुपमा को इस षड्यंत्र में फंसाया जा सके" । हीरेन ने मंगल सिंह की ओर देखकर कहा "क्यों थानेदार जी ! यह संभव है या नहीं" ? हीरेन के मुखड़े पर रहस्यमई मुस्कान खेलने लगी । 

हीरेन के द्वारा अचानक इस तरह से प्रश्न करने से मंगल सिंह अचकचा गया । वह तो अपने बनाए हुए किले को धराशाई होते देखकर मन ही मन खून के आंसू रो रहा था । उसे इस केस को हल करने पर पुलिस अधीक्षक ने पुरस्कृत भी किया था । अब लोग पुलिस विभाग और एस पी साहब पर उंगली उठाई रहे थे कि ऐसे कैसे पुरस्कृत कर दिया गया था ? जनता में पुलिस की छवि खराब होने के कारण उच्च अधिकारियों से उसे बुरी तरह लताड़ पड़ी थी । इस कारण वह शर्मसार हो रहा था । अवसाद में डूबे होने से उसने हीरेन के प्रश्न को सुना ही नहीं था इसलिए वह हीरेन का मुंह ताकता ही रह गया । 

"मैंने कहा, थानेदार जी ये बताओ कि अक्षत के  कमरे में ये सारी चीजें रखी जा सकती हैं या नहीं" ? 
मंगल सिंह कहने लगा "ये कैसे संभव है मी लॉर्ड कि अक्षत के बंद कमरे में ये सब चीजें रखी जा सके ? एक तो मुख्य दरवाजे पर ताला और दूसरे अक्षत के कमरे का ताला ! दो दो ताले तोड़कर कोई आदमी अक्षत के कमरे में वे चीजें रखने कैसे जाएगा" ? 

मंगल सिंह के जवाब पर हीरेन मुस्कुरा दिया "पुलिस के लिए क्या नामुमकिन है ? वह तो रस्सी को भी सांप बना देती है । चोर को साहूकार और साहूकार को चोर बना देती है । तो फिर किसी के कमरे में ये सब चीजें रखना कोई मुश्किल काम है क्या" ? 
"योर ऑनर ! लगता है कि जासूस महोदय का दिमाग अपनी तुच्छ सफलताओं से फिर गया है । तभी तो ये पुलिस पर इस तरह ओछे आरोप लगा रहे हैं" । मंगल सिंह भड़कते हुए बोला । 
"देखा जज साहब, मंगल सिंह ने तो अनुपमा जैसी उच्च चरित्रवान स्त्री को "छिनाल" सिद्ध करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी थी । और तो और उसे कातिल भी बता दिया था । और हमने पुलिस पर जरा सी उंगली उठा दी तो ये महाशय दर्द से कराह उठे ? किसी को सार्वजनिक रूप से जलील करने पर उसके दिल पर क्या गुजरती है , ये बात तुम क्या जानोगे मंगल बाबू ? तुमने तो बस अपने ही बारे में सोचा है । हर किसी पर कुछ भी इल्जाम लगाकर उसका सार्वजनिक अपमान करके समाज में उसकी साख, मर्यादा और प्रतिष्ठा को धंल धूसरित कर उसकी सामाजिक हत्या कर दो, पुलिस के लिए तो यह एक आम बात है । क्यों है ना थानेदार जी" ? हीरेन के व्यंग्यात्मक शब्दों से मंगल सिंह अंदर तक हिल गया था । 

"योर ऑनर ! मुझ पर और पुलिस पर झूठे इल्जाम लगाकर जासूस महोदय क्या साबित करना चाहते हैं" ? मंगल सिंह भुनभुनाते हुए बोला । 

मंगल सिंह के इस रौद्र रूप पर हीरेन ने कहा "थानेदार जी , आपकी थ्यौरी यह है कि हथियार जहां से बरामद हो , वही व्यक्ति कातिल है । क्यों सही है ना" ? 
"जी सर , इसमें गलत क्या है" ? 
"योर ऑनर, यदि इसी सिद्धांत को मानें तो आप एक चमत्कार देखने के लिए अभी तैयार रहें" ? 
"ये कैसी बहस है जासूस महोदय ? अदालत में कैसा चमत्कार दिखाना चाहते हैं आप" ? जज साहब की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थी । 
"हुजूर, आप तो मुझे चमत्कार दिखाने की आज्ञा दे दीजिए और फिर चमत्कार पे चमत्कार देखिए" । हीरेन बड़ी रहस्यमई मुस्कान बिखेरता हुआ बोला "योर ऑनर, जासूस का काम चमत्कार दिखाना ही तो है । तभी तो लोग उसका लोहा मानते हैं , नहीं तो जासूस होने का मतलब क्या है" ? 
"आपकी आधी बातें ही मेरे समझ में आती हैं जासूस महोदय , करिए जो भी चमत्कार करना है आपको , पर जल्दी करिए" जज साहब भी उस चमत्कार को देखने के लिए लालायित हो उठे । 

हीरेन ने मंगल सिंह को कहा "आप कल से उस सीट पर बैठे हैं जिसके सामने एक बड़ी सी मेज रखी है । क्यों ठीक है ना" ? 
"जी, ठीक है" 
"उस मेज में एक दराज है । क्यों ठीक है ना" ? 
"ये भी ठीक है । पर इसका इस केस से क्या संबंध है" ? 
"वो मैं अभी बताता हूं । पहले आप उस मेज की दराज खोलिए" । 
"ये क्या मजाक है योर ऑनर ? जासूस महोदय अदालत का कीमती वक्त जाया कर रहे हैं" । मंगल सिंह गरजते हुए बोला 
"शांत थानेदार जी, शांत । आप उस दराज को खोलिए तो सही" ? 

थानेदार मंगल सिंह ने डरते डरते अपने सामने की मेज की दराज ऐसे खोली जैसे कि उसमें कोई बम रखा हो और वह बम दराज के खुलते ही फटने वाला हो । जैसे ही उसने दराज खोली वैसे ही उसकी चीख निकल पड़ी । जज साहब भी चौंककर उधर देखने लगे । 
"योर ऑनर ! हो गया ना चमत्कार ? मंगल सिंह के सामने वाली दराज से वही एल्बम और अनुपमा के अंगवस्त्र मिले हैं । तो क्या ये समझें कि ये इनके ही हैं" ? हीरेन का चेहरा कमल की तरह खिला हुआ था और मंगल सिंह के चेहरे पर घड़ों पानी पड़ा हुआ था । जज साहब की आंखें भी इस चमत्कार से चौंधिया गई थी । 
"ये यहां कैसे आए" ? जज साहब ने पूछा 
"इस बारे में थानेदार मंगल सिंह जी ही कुछ बतायेंगे मी लॉर्ड । उन्हीं के सामने वाली दराज में से निकली हैं ये दोनों चीजें इसलिए उन्हें ही इसका पता होगा" ? मंगल सिंह का चेहरा देखकर हीरेन की बांछें खिल गई थीं । 
"मैं कुछ नही जानता हूं योर ऑनर । ये कारस्तानी इन्हीं जासूस महोदय की लगती है" घबरा कर मंगल सिंह बोला 
"कोई सबूत है आपके पास जो यह सिद्ध करे कि ये वस्तुऐं मैंने वहां पर रखी हैं ? ये तो अदालत में सुरक्षित रखी थीं फिर आपकी दराज में कैसे आईं ? इस बारे में आप ही बता सकते हैं" । अब मंगल सिंह का काम तमाम हो गया था । वह बोलें झांकने लगा । 

"योर ऑनर ! अभी यह चमत्कार आधा ही हुआ है । आधा और देखना बाकी है अभी । अब सरकारी वकील साहब को भी आदेश दें कि वे भी अपने सामने की दराज खोलकर देखें" । हीरेन के होंठ अपनी सफलता पर गोल होकर सीटी बजाने लगे थे । 
"खोलिए वकील साहब । देखें कि आपके पिटारे से क्या निकलता है" ? जज साहब को भी दोनों की धुनाई देखकर मजा आने लगा था । 

नीलमणी त्रिपाठी ने अपने सामने की दराज खोलकर देखा तो वह भी सकते में आ गये । उसमें वही चाकू रखा था जो अक्षत के कमरे से बरामद हुआ था । वे चीखकर बोले "ये यहां कैसे आया" ? उनका शरीर गुस्से के मारे कांपने लगा था । 
"वैसे ही जैसे इसे अक्षत के कमरे में रखा गया था" । हीरेन बड़ी शांत मुद्रा में बोला । 

पूरी अदालत तालियों से गड़गड़ा उठी । इसे कहते हैं सौ सुनार की और एक लुहार की । सब लोग हीरेन की प्रतिभा के कायल हो गये । जज साहब भी हीरेन की योग्यता पर मुग्ध थे और उसे शाबासी देना चाहते थे परन्तु डायस पर बैठे होने के कारण वे ऐसा नहीं कर सकते थे । 

हीरेन कहने लगा "योर ऑनर ! इस चमत्कार से मैंने यह बतलाने का प्रयास किया है कि जो सामान अदालत की कस्टडी में होने के बावजूद किसी के पास "प्लाण्ट" किया जा सकता है तो एक छोटा सा एल्बम, ब्रा, पैंटी और चाकू किसी के कमरे में आसानी से प्लाण्ट नहीं किये जा सकते हैं क्या ? इसलिए इन समस्त वस्तुओं का अक्षत के कमरे से मिलने का अर्थ यह कदापि नहीं है कि ये एल्बम उसने बनाया हो, अनुपमा के इनर वियर उसने अपने कमरे में छुपाए हों और हत्या में प्रयुक्त चाकू उसने काम में लिया हो । यहां यह सोचने वाली बात अवश्य है कि जो एल्बम क्षितिज ने बनाया था और जिसे एक चोर विकास सिंह ले गया था । फिर विकास सिंह से वह एल्बम उसका दोस्त समीर अपने साथ ले गया था, वही एल्बम अक्षत के कमरे से कैसे मिला ? पूरी कहानी इसी पर आधारित है मी लॉर्ड" । हीरेन अपनी बात समाप्त करते हुए थोड़ा विश्राम लेने की गरज से अपनी सीट पर बैठ गया । मीना उसकी सेवा करने के लिए पहले से ही तैयार खड़ी थी । 

श्री हरि 
23.6.23 

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5 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 09:26 AM

शानदार

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Punam verma

23-Jun-2023 09:34 AM

Very nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

23-Jun-2023 02:01 PM

🙏🙏

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Abhinav ji

23-Jun-2023 08:20 AM

Wah very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

23-Jun-2023 02:01 PM

🙏🙏

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